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Government job exam or money making tree?

*नौकरी* यह कैसा लॉजिक है , *किसी भी सरकारी विभाग की Vacancy निकलती हैं तो उसकी फार्म फीस 500-700 होती ही हैं* सरकार विद्यार्थियों से *पैसा कमाना* चाहती हैं या उन्हें *रोजगार देना* ??? अभी तक पता नहीं चला है । उदाहरण के लिए:- पोस्ट होती हैं *50* (Seat) फॉर्म पूरे *भारत* से भरवाते हैं । फॉर्म फीस होती हैं 500 रु , *50 लाख से 80 लाख विद्यार्थी* फॉर्म भरते हैं _*आइये सरकार का फायदा देखते हैं*_ 500 रु फॉर्म फीस × 50,00,000 विद्यार्थीयों ने फॉर्म भरें = (कुल आय फॉर्म फीस से) *2 अरब 50 करोड़ रु* नौकरी देनी हैं *50* को सैलेरी *25000* रु प्रति माह मान लेते , ज्यादा मानी गयी हैं इतनी होती नहीं हैं 25000 × 50 लोग = 12,50,000 महीना 12,50,000 × 12 महीने = 1 करोड़ 50 लाख *चालीस साल की नौकरी करने पर* 1,50,00,000 × 40 साल = *60 करोड़* सरकार की फॉर्म फीस कुल आय = *2 अरब 50 करोड़ रूपए* *अप्पोइंटेड लोगों की 40 साल तक की सैलेरी* 60 करोड़ रु 2,50,00,00,000 – 60,00,00,000 = *1,90,00,00,000* *सरकार की कुल आय = 1 अरब 90 करोड़ रु* मेरा सवाल – सरकार व विभाग से यह हैं कि आप विद्यार्थीयों

जॉब जाए तो घबराएं नहीं, करें ऐसे हैंडल

जॉब जाने पर घबराएं नहीं,बल्कि इसका डटकर मुकाबला करें। विपरीत परिस्थिति में जब आप बेहतर करते हैं, तो आपका कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है। आप प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे हैं, तो जॉब को लेकर कभी भी निश्चिंत नहीं रह सकते हैं। दुनिया भर में कंपनियां कई वजहों का हवाला देते हुए एम्प्लॉइज को बाहर का रास्ता दिखाती हैं। इसका शिकार कोई भी हो सकता है। इसलिए ऐसे समय में जरूरी है कि आप खुद को कूल रखें और परिस्थितियों का डटकर सामना करें। जिस तरह से जॉब जाती है, उसी तरह से जॉब हासिल भी की जा सकती है। इसलिए आप हमेशा पॉजिटिव वे में सोचें और दोबारा नौकरी पाने के लिए ट्राई करते रहें। यहां पर दिए जाने वाले टिप्स आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। स्किल डिवेलपमेंट पर दें ध्यान इसमें कोई दो राय नहीं है कि जॉब न रहना एक बड़ा झटका होता है। लेकिन ऐसी स्थिति में आप निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दें। जॉब जाने का मतलब यह नहीं होता है कि आप में प्रतिभा नहीं है या फिर आप अच्छा काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए आपको बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। इसके पीछे दूसरी वजहें भी हो सकती हैं। जैसे कि मंदी के दौर में कइयों को

भारत देश के चारों समुंदर लेकिन इस देश में एक और चीज चारों ओर है?

  भारत देश के चारों समुंदर लेकिन इस देश में एक और चीज चारों ओर से घेरे रखी हुई है भ्रष्टाचार (करप्शन) जिसके कारण हमारा देश खोखला हो गया है! पहले हर नेता चुनाव के सामने में समय हम सभी के घर पर आते है हमसे वोट की मांगते है! लेकिन चुनाव होने के बाद वही नेता कभी अपने कर्तव्यों को नहीं निभाते है हम उसका पता ढूंढ़ते-ढूंढ़ते परेशान होते हैं और चप्पल गीस जात्ते हैं लेकिन हमें क्या मिलता है काई झूठे भरोसा जिसकी कोई उम्मीद ही नहीं होती है! अगर इस भ्रष्टाचार को खत्म करना है तो हमें खुद खड़ा होना होगा आगे बढ़ने का सबसे मूल मंत्र है पीछे की जाने वाली गलतियों को सुधारना है ताकि आने वाली पीढ़ी कभी उस गलती के दुष्परिणाम का प्रभाव न पडे यह हमारा कर्ज है अगर हमे अपने देश के लिए मरना भी पड़े तो अपना बलिदान देने से पीछे न हटे है हमको भ्रष्टाचार को खत्म करना है तो लड़ना होगा लड़ने के लिए खड़ा होना होगा खड़े होने के लिए उठना होगा और उठने के लिए जागना होगा जागो गहरी नींद से एक बार चलना शुरू करो रुकने का नाम ना लो और कह दो सबसे भ्रष्टाचार की अब नहीं चलेगी नहीं चलेगी नहीं चलेगी

आम आदमी पहले भी सरकार को टैक्स देता था और GST लागु होने के बाद

आम आदमी पहले भी  सरकार को टैक्स देता था और GST लागु होने के बाद भी देता है ! बहुत से ऐसे उद्योगपति हैं! जिन्होंने इनकम टैक्स सेल टेक्स यातायात टैक्स सब की चोरी करी लेकिन इन सब का नुकसान हमेशा से मजदूर वर्ग को हुआ है और अब भारत सरकार ने GST लागू तो कर दिया है! लेकिन इसका क्या फायदा हुआ हर चीज पर 18 पर्सेंट टैक्स भरना पड़ रहा है 18 परसेंट जनता की जेब से तो जाएगा जितने भी बड़े उद्योगपति पर इनका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योकि कीमते बढ़कर जनता को लोटा जाएगा! इस टैक्स को बढ़ने से हमारा देश पहले की तरह गुलाम बना जाएगा इससे  स्पष्ट होता है की हम गुलाम थे आज भी गुलाम ही रहेगा गुलामी में जिएंगे गुलामी में ही मरेंगे एक आम आदमी ऋण में  जीता है और उस से ऋण को आने वाले भविष्य के हाथ में देकर मर जाता है वही हाल होगा हमारे देश का ना कोई परिवर्तन आएगा ना ही कोई सुधार होगा हर चीज पर 18 परसेंट भरने से जनता को क्या फायदा होगा यह सारा टेक्स्ट तो जनता की जेब से ही तो जाएगा! नुकसान में तो हम जनता ही जाएगी यह जितने भी नेता है इन सबके को टैक्स फ्री है यह तो अपने उद्योगिक जगत में अपना विकास कर लेंगे और ह

भारत में सबसे ज्यादा स्कैम सरकार के माध्यम से होता है! जानिए कैसे

आज हम इस बारे में बात करते हुए कुछ दोस्तों से चर्चा कर रहे थे तो आप भी इस बारे में सोचिए और समझिए कि मैं किस बारे में बात करना चाह रहा हूं जब किसी सरकारी दफ्तर या विभाग का फॉर्म निकलता है जॉब के लिए तो एप्लीकेशन के लिए उस फॉर्म की कम से कम फीस 100 रुपए से 1000 रुपए तक होती है और इसमें भरने वालों की संख्या 10 लाख से 50 लाख होती है जिसमें सरकार को लगभग 100 करोड़ से 1000 करोड़ का कलेक्शन होता है ऐसे में सरकारी नोकरी के लिए 0.2% प्रतिशत लोगों का ही चुनाव होता है और फार्म भरने के बाद भी पेपर देने किसी दूसरे स्टेट में जाना पड़ता है क्या हमारे स्टेट में इतनी व्यवस्था नहीं है कि यहां एग्जाम लिया जा सके क्या वहां धांधली नहीं होगी इस बात की कोई गारंटी है सरकार गैरंटी लेने से तो पिछड़ती जा रही है इस बार कैसे हट रही है सरकार को इस बात का अंदेशा है कि दूसरे स्टेट में अगर छात्र परीक्षा देने जाएंगे तो उसमें से सिर्फ आधे छात्र ही परीक्षा देंगे बाकी छात्र पैसे की तंगी के कारण या तो किसी और कारण से परीक्षा नहीं दे पाएंगे और सरकार को 100 करोड़ से 500 करोड़ का मुनाफा हो जाता है यह स्कैम नहीं तो क्या है

तिल-तिल रोती हूं मैं तिल-तिल हंसती हूं

तिल-तिल रोती हूं! मैं तिल-तिल हंसती हूं! मैं जितना मुझे रुलाओगे उतना कल अपने आप को दुखी पाओगे समझ लेना इस बात को तुम कल किससे बात लाओगे आगे बढ़ने की राह में मुझे जो नुकसान पहुंचाया है वही विनाश तुम पाओगे समय-समय पर मैंने बतलाया है आज जो किया था तुमने मेरे साथ कल वहीं तुमने पाया है फिर करोगे ऐसा तो मैंने तुम्हें बार-बार यही समझाए है आगे बढ़ने की चाह में तिल-तिल तुमने मुझे रुलाया है मैं तुम्हारी धरती मां हूं जिसको तुमने सताया है आगे नहीं बढ़ पाओगे अगर मैंने अपना कदम पीछे बढ़ाया है जिंदगी भर रहोगे जब जब में  तुम पर अपना हाथ हटाया है लेकिन फिर भी मैंने तुम्हें उठाया है जितनी बार तुम करोगे उतनी बार मैं तुम्हें बताऊंगी इस धरती की कसम में तुम्हें जब तक समझ आऊंगी जब तक मिट्टी का यह शरीर मिट्टी में नहीं मिल जाएगा एक बात जान लो तुम यह समाझ जाओगे तुम मेरे अंदर क्या रह जाएगा बाहर इसीलिए मुझे नुकसान मत पहुंचाओ फिर मैंने तुम्हें बतलाया है                        

राजनीति में समाज सेवा के नाम?

एक बात मुझे समझ नहीं आती लोग आते तो हैं राजनीति में समाज सेवा के नाम पर लेकिन फिर क्यों मेव खाने लग जाते हैं यह राजनीति का मेवा सेवा-सेवा करते घोटाले-पर-घोटाला करें अपने बीवी बच्चों के नाम पर झूठा रजिस्ट्रेशन करें कब्रिस्तान की मिट्टी हो या मरने वाले का कफन उसमें भी यह कमीशन खाने से मना नहीं करेंगे पहले सरहदों पर लड़ते हुए जवान गोली खाकर शहीद हो जाते थे! लेकिन आज खाना ना मिला तो यह भूखमरी से मर जाएंगे राशन सारा दबाके इन्होंने पीला पानी पहुंचाया है खाने के लिए सूखी रोटी और नमक भिजवाया है जब कोई आवाज़ उठाएं तब वह जूता साफ पॉलिश करते हुए नजर आया है पोलिस-पोलिस करते-करते उस जवान को यह समझ आया है सरहद पर तो हम हैं लड़ते लेकिन अंदर से कौन लड़ कर आया है जब-जब आवाज उठा हूं मैं तब तब मुझे दबाया है छात्र हो या कोई शिक्षक कुछ समय के लिए हर कोई थोड़ा-थोड़ा काम आया है लेकिन जब कोई मरता है तभी सरकार को क्यों समझ आया है  जाऊं मैं हार ना जाऊं कहीं इस जंग में बस सारी तो यह पैसों की एक माया है अगर किसी को बुरी लग जाए यह बात तो अपने सवाल पूछने के लिए अपने पास के MLA,MP या किसी बड़े विधायक के पास जाकर यह