भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना
भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना
प्रशन : स्वयं स्फूर्ति से आप क्या समझते हैं! अर्थव्यवस्था को स्वयं स्फूर्ति
से आप क्या समझते हैं! अर्थव्यवस्था को स्वयं स्फूर्ति प्राप्त करने के लिए क्या
कदम उठाने चाहिए
उतर : स्वयं
स्फूर्ति
भारत जैसी अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाए जो कि उपनिवेशवाद के रूप में रह चुकी है!
इनमें पूंजी का अभाव गरीबी तथा असमानता जैसी समस्याएं सदैव विद्यमान रहती है! भारत
में खाद्य वस्तुओं की पूर्ण रुप से अपर्याप्तता पाई जाती है! अर्थात व्यक्तियों की
इतन पोषण युक्त भोजन प्राप्त नहीं हो पाता कि वे शारीरिक व मानसिक रुप से स्वस्थ
रह सके
स्वयं स्फूर्ति से अभिप्राय ऐसी स्थिति से है! जिससे की अर्थव्यवस्था में
खाद्य वस्तुओं का इतना उत्पादन किया जा सके जिससे कि ना केवल अपना आवश्यक्ताओं को
पूरा कर सकें बल्कि विदेशी निर्यात भी कर सकें अर्थात स्वयं स्फूर्ति की स्थिति में
अर्थव्यवस्था विदेशों वस्तुओ का निर्यात करती है! भारतीय अर्थव्यवस्था को स्वयं स्फूर्ति
के स्तर पर लाने के लिए 1 अप्रैल 1991 प्रथम पंचवर्षीय योजना प्रारंभ की गई जिसमें
ऐसी नीतियों को लागू किया गया जिससे की अर्थव्यवस्था में खाद्य वस्तुओं के उत्पादन
के स्तर को बढ़ाया जा सके
स्वयं स्फूर्ति की आवश्यकता
एक अर्थव्यवस्था को स्वयं स्फूर्ति की स्थिति में होना निम्नलिखित कारणों से
आवश्यक है!
1.
मानवीय संसाधनों
का पूर्ण उपयोग : अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में जनसंख्या के अधिक
होने के कारण पर्याप्त मात्रा में मानवीय संसाधन उपलब्ध होते हैं! परंतु खाद्य
वस्तुओं की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण से मानसिक या शारीरिक रुप से स्वयम नहीं
होते हैं! जिसके कारण अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देने में समर्थन नहीं हो पाता है!
2.
भुगतान शेष की
समस्या : किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य वस्तुओं का
पर्याप्त उत्पादन नहीं होता है! तो अर्थव्यवस्था को विदेशों से वस्तुओं का आयात
करना पड़ता है! जिसके कारण अर्थव्यवस्थाओ के सम्मुख भुगतान शेष की समस्या उत्पन्न
हो जाती है!
3.
संसाधनों का शोषण : जब अर्थव्यस्था स्वयं स्फूर्ति की अवस्था
में नही होती है! तो अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों का अपव्यय शोषण होता है! जो
की अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में एक बाधक का कार्य करता है!
अर्थव्यवस्था को स्वयं स्फूर्ति में लाने के सुझाव
एक अर्थव्यवस्था को स्वयं श्रुति में लाने के लिए निम्न उपाय किए जाने चाहिए
नंबर
1.
आर्थिक नियोजन : इतिहास इस बात का साक्षी रहा है! कि सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक
नियोजन के माध्यम से ही स्वयं स्फूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त किया है! आर्थिक
नियोजन में ऐसे कार्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिए जिससे की अर्थव्यवस्था में
खाद्य वस्तुओं के उत्पादन के स्तर में ना केवल वृद्धि हो सके बल्कि विदेशों को
निर्यात करके विदेशी पूंजी भी अर्जित की जा सके
2.
कृषि को
प्राथमिकता : सभी पंचवर्षीय योजना में कृषि को विकास को
प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि कृषि के विकास के फलस्वरुप ना केवल खाद्य वस्तुओ
की उत्पादकता में वृद्धि होगी बल्कि रोजगार में के अवसरों में वृद्धि होगी तथा
इसके फलस्वरुप अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों जैसे औद्योगिक तथा सेवा क्षेत्र का
भी विकास होगा
3.
आधुनिक तथा
वैज्ञानिक तकनीक को प्रोत्साहन : भारतीय अर्थव्यवस्था
प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था रही है! लेकिन इसके उपरांत भी भारतीय
अर्थव्यवस्था का दुर्भाग्य है! कि इसमें उत्पादकता का स्तर बहुत ही नीचा है! इसका
प्रमुख कारण कृषि में प्रयोग की जाने वाली परंपरागत तकनीक है! जिसके माध्यम से
उत्पादन का स्तर निम्न है!
प्रशन : गरीबी से आप क्या समझते हैं! इसके प्रकारो को
स्पष्ट करते हुए सरकार द्वारा चलाए गए गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को स्पष्ट कीजिए
उतर : गरीबी
भारत जैसे अल्पविकसित अर्थव्यवस्था जो की जनसंख्या से पूर्ण
रुप से संपन्न है! गरीबी या निर्धनता का पाया जाना स्वभाविक है! भारत में वर्तमान
समय में भी लगभग 0.22% जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है!
गरीबी का अभिप्राय ऐसी अवस्था को है! जब व्यक्ति
के पास इतनी भी आय नहीं कि वह अपनी निम्नतम देनिक आवश्यकताओ को पूरा कर सके तो उसे
निर्धन व्यक्ति कहते हैं! गरीबी को परिभाषित करने के लिए अर्थव्यवस्था में गरीबी
रेखा की अवधारणा का प्रयोग किया जाता है! गरीबी को अर्थशास्त्रियों ने दो रूपों
में परिभाषित किया है! जब किसी व्यक्ति को ग्रामीण क्षेत्र में 2400 कैलोरी तथा शहरी
क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्राप्त नहीं होती है! तो उसे निर्धनता रेखा के नीचे रहने
वाला कहते हैं! और वहीं दूसरी ओर यदि ग्रामीण क्षेत्र में 245 रुपय तथा शहरी
क्षेत्रों में 265 रुपय की आय की प्राप्ति
नहीं होती है! तो उसे में या निर्धन या रेखा से नीचे रहने वाली लेने वाले व्यक्ति
कहा जाता है!
गरीबी के प्रकार
भारतीय अर्थव्यवस्था के शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में गरीबी
पर्याप्त है! ग्रामीण क्षेत्र में जो लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं! उनमें
भूमिहीन किसान बंधुआ मजदूर तथा छोटे दुकानदार आदि प्रमुख हैं! शहरी क्षेत्रों में
दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले श्रमिक बेरोजगार श्रमिक तथा घरेलू नौकर प्रमुख है!
गरीबी उन्मूलन के सरकारी कार्यक्रम
अर्थव्यवस्था में गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार के द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रम
संचालित किए गए हैं!
1.
आय और संपत्ति का
समान विवरण : सरकार ने प्रगतिशील कर प्रणाली को अपनाया है! जिसमें
आय के साथ करारोपण की दर भी बढ़ती जाती है! इस कार्यक्रम में गरीबी को ना केवल छूटे
दी जाती हैं! बल्कि उन्हें कर मुक्त भी कर दिया जाता है!
2.
रोजगार आश्वासन
योजना : (2 अक्टूबर 1993) रोजगार आश्वासन योजना को क्रियान्तित
किया गया इस योजना के अंतर्गत गरीब परिवार के कम से कम एक सदस्य को वर्ष में कम से
कम 100 दिन कार्य प्रदान करने का आश्वासन दिया गया जिसके लिए जिससे कि वह अपने
परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हो सके
3.
प्रधानमंत्री
रोजगार योजना : यह योजना 20 अक्टूबर 1993 को लागू की गई इस
योजना के अंतर्गत सेवा उद्योग क्षेत्र में सात लाख व्यक्तिगत इकाई उद्योगों की
स्थापना करके दस लाख व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करने का प्रवाधान किया गया
4.
स्वर्ण जयंती
ग्राम स्वरोजगार योजना : यह कार्यक्रम 1 अप्रैल 1999 को प्रारंभ किया
गया इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण बेरोजगारों को स्वयं का रोजगार प्रारम्भ करने के
लिए वित्तीय सुविधा सुविधाएं मुहै!या कराई जाती है! जिसमें की वह अपना स्वयं का
कार्यक्रम प्रारंभ कर सकें
5.
जवाहर रोजगार
योजना : यह रोजगार योजना ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित है!
इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार प्रदान करने
की व्यवस्था की गई है! इस योजना के द्वारा वर्ष 2000 तक 1945 लाख लोगों को रोजगार
के अवसर उपलब्ध कराए जा जा चुके हैं!
6.
प्रधानमंत्री
संबंधित शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम :यह कार्यक्रम 1995
में लागू किया गया इस योजना के अंतर्गत योग्य तथा कुशल व्यक्तियों को कार्य से
संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है! जिससे कि वह अपना स्वयं का कोई कार्य प्रारंभ
करने में सक्षम हो सके
जयप्रकाश रोजगार गारंटी योजना : वर्ष
2002 से 2003 के संधीय बजट मैं सरकार ने देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में इस
योजना को लागू करने का सुझाव दिया गया है! इस योजना में खादी एवं ग्रामीण उद्योग
निगम जिला केंद्र तथा अन्य एजेंसी अपना पूर्ण सहयोग देगी
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