जनसंख्या का संक्रमण और जनसंख्या बचने के उपाए

                       जनसंख्या का संक्रमण

प्रशन : जनसंख्या के जनाकीय की संक्रमण सिद्धांत की व्याख्या कीजिए जनसंख्या में वृद्धि आर्थिक विकास को दो तरफा संबंध को स्पष्ट कीजिए                        
उतर :                                                       जनसंख्या का संक्रमण सिद्धांत
जनसंख्या के जनानकीय / संक्रमण सिद्धांत का प्रतिपादन माल्थस के द्वारा उनकी पुस्तक as on the principles of the population मैं किया गया है!                                                                                                 इस सिद्धांत में माल्थस ने अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास तथा जनसंख्या के संबंध को स्पष्ट किया है! इस सिद्धांत के अनुसार जब अर्थव्यवस्था पूर्ण रुप से पिछड़ी तथा अविकसित होती है! तो जन्मदर और मृत्युदर दोनों ही बहुत ऊची होती है! जिसके कारण जनसंख्या में वृद्धि बहुत ही सामान्य दर से होती है! और जब अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर अग्रसर होती रहती है! तो मृत्यु दर में काफी कमी आ जाती है! परंतु जन्म दर अब भी काफी ऊंचा ऊंची होती है! जिससे अर्थव्यवस्था के सम्मुख जनसंख्या विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है! जब अर्थव्यवस्था विकसित हो जाती है! तो जन्मदर और मृत्युदर दोनों ही कम हो जाती हैं! जिसके कारण जनसंख्या में धीमी दर से वृद्धि होती है!
जनसंख्या संक्रमण सिद्धांत की स्थितिया
माल्थस के द्वारा प्रतिपादित जनसंख्या के संक्रमण सिद्धांत की निम्नलिखित स्थितियां हैं!
1.       प्रथम अवस्था : अल्पविकसित व पिछडी अर्थव्यवस्थाओ से संबंधित है! इस स्थिति में चिकित्सा सुविधा के पूर्ण रूप से अभाव होने तथा महामारिओ के कारण मृत्यु दर काफी ऊंची होती है! और वहीं दूसरी और परिवार नियोजन आदि कार्यक्रमों में पूर्ण आभाव पाया जाता है! जिससे जन्मदर में तीव्र दर वृद्धि से होती है!
2.       दितीय अवस्था : यह अवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था से संबंधित है! इस स्थिति में अर्थव्यवस्था में चिकित्सा सुविधाओं का विकास होता है! जिसके कारण मृत्यु दर में कमी हो जाती है! परंतु लोगों में अभी भी इस प्रकार का भय बरकार रहता है! कि कहीं उनकी संतरा बीमारी या महामारी से उनकी मृत्यु ना हो जाए जिसके कारण इस स्थिति में भी जन्म दर ऊंची होती है! जिससे अर्थव्यवस्था मैं जनसंख्या विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है!                        
3.       तृतीय अवस्था : यह अवस्था एक विकसित अर्थव्यवस्था से संबंधित है! इस अवस्था में लोगों लोग शिक्षित हो जाते हैं! और सरकार के द्वारा परिवार नियोजन आदि कार्यक्रमों में संचालित किया जाता है! और वहीं दूसरी ओर चिकित्सा सुविधाओं का विकास होता है! जिसके कारण जन्मदर और मृत्युदर दोनों ही कम हो जाती है! जिससे की जन्संख्या में एक सामान्य दर से वृद्धि होती है!                        
जन्मदिन आर्थिक विकास के इंजन के रूप में
इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि जनसंख्या में वृद्धि होने से गरीबी बेरोजगारी तथा कुपोषण की समस्या उत्पन्न होती है! लेकिन यदि मानव शक्ति का सही ढंग से प्रयोग किया जाए तो अर्थव्यवस्था की आर्थिक विकास की दर को गति दी जा सकती है! जनसंख्या आर्थिक विकास को निम्न प्रकार से प्रोत्साहित करती है!
1.       उत्पादन की श्रम प्रधानता तकनीक : अल्पविकसित अर्थव्यवस्था हैं! जिनमें जनसंख्या की वृद्धि दर काफी ऊंची होती है! वहीं पर श्रम प्रधानता तकनीक बहुत अधिक उपयुक्त है! इन अर्थव्यवस्था में पूंजी का अभाव पाया जाता है! इसलिए जनसंख्या एक सहायक के रूप में कार्य करती है!
2.       जनसंख्या के व्यवसायिक परिवर्तन : जब अर्थव्यवस्था में जनसंख्या के स्तर में वृद्धि होती है! तो इसके फलस्वरुप कुल कार्यशील जनसंख्या समस्त तीन क्षेत्रों में विभाजित हो जाती है! जिससे अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में विकास संभव होता है!
3.       मानव शक्ति का उत्पादन कार्यो में प्रयोग : अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओ में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है! इन संसाधनों का तभी कुशलता के साथ उपयोग किया जा सकता है! जब अर्थव्यवस्था में जनसंख्या अधिक हो अर्थात इन मानवशक्ति का उपयोग उत्पादक कार्यों के लिए प्रयोग की जा सकता है!
जनसंख्या आर्थिक विकास के बाधक
एक अर्थव्यवस्था में जनसंख्या सहायक के अलावा बाधक के रूप में भी कार्य करती है! जनसंख्या निम्नलिखित प्रकार से अर्थव्यवस्था में विकास मैं बाधक है!
1.       बेरोजगारी : जनसंख्या के बढ़ने से जिस तरह से रोजगार इच्छुक व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि होती है! उस तरह के रोजगार के अवसर में वृद्धि नहीं हो पाती है! जिसके कारण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है!
2.       खाद्य वस्तुओं की अपर्याप्तता : बढ़ती हुए जनसंख्या के फलस्वरुप अर्थव्यवस्था में खाद्य वस्तुओं अन्य आवश्यक सुविधाओ जैसे चिकित्सा पानी तथा रहने की समस्या उत्पन्न हो जाती है! जिससे अर्थव्यवस्था के सम्मुख महामारी कुपोषण आदि की समस्या उत्पन्न हो जाती है!
3.       पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव : जब अर्थव्यवस्था में जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती है! तो इसके फलस्वरुप पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है! क्योंकि व्यक्ति अपनी आवश्यकताओ को संतुष्ट करने के लिए इन संसाधनों का शोषण करने लगते हैं! जिसके फलस्वरुप मौसम का असंतुलन बाढ़ भूकंप आदि समस्याओं की संभावना बहुत अधिक हो जाती है!
जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय
एक अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित उपायों से कम की जा सकती है!
1.       सामान्य शिक्षा का विकास
2.       परिवार नियोजन कार्यक्रम
3.       बालविवाह का निवारण
4.       आय का असमान वितरण
5.       रोजगार के अवसरों में वृद्धि

6.       स्त्रियों की अधिक आर्थिक व सामाजिक स्थिति में सुधार

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